शहडोल:शहडोल के यूनियन नेता नागपुर सम्मेलन में हुए शामिल, बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ बुलंद की आवाज

शहडोल के यूनियन नेता नागपुर सम्मेलन में हुए शामिल, बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ बुलंद की आवाज

शहडोल। नागपुर देशभर के बिजली कर्मचारियों, अभियंताओं और अधिकारियों के संगठनों ने राष्ट्रीय समन्वय समिति के तत्वावधान में नागपुर में एक महत्वपूर्ण सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन के अंत में नागपुर घोषणा पत्र जारी किया गया, जिसमें बिजली क्षेत्र में हो रहे निजीकरण, विद्युत संशोधन विधेयक 2022 और कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए निजीकरण के खिलाफ कड़ा रुख घोषणा पत्र में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण का कड़ा विरोध किया गया। वक्ताओं ने कहा कि निजीकरण से उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा, सेवा की गुणवत्ता प्रभावित होगी और कर्मचारियों के रोजगार असुरक्षित होंगे। इसलिए सरकार से इस नीति को तुरंत वापस लेने की मांग की गई।सम्मेलन में इस विधेयक को राज्य सरकारों की भूमिका कमजोर करने वाला और निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने वाला बताया गया। प्रतिनिधियों ने इसे अविलंब निरस्त करने की मांग की।नागपुर घोषणा पत्र में कर्मचारियों के अधिकारों और सुरक्षा पर जोर दिया गया। सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित करने, पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने, समान कार्य के लिए समान वेतन लागू करने और आउटसोर्सिंग व ठेका प्रथा को समाप्त करने की मांग उठाई गई। साथ ही, सेवा शर्तों में बिना कर्मचारियों की सहमति के बदलाव न करने की अपील की गई।घोषणा पत्र में यह सुनिश्चित करने की मांग की गई कि सभी उपभोक्ताओं को सस्ती और निर्बाध बिजली मिले। साथ ही, स्मार्ट मीटर और प्रीपेड मीटर लगाने की जबरदस्ती रोकने, बिजली सब्सिडी खत्म करने की योजना को रोकने और किसानों व गरीब उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर बिजली उपलब्ध कराने की मांग रखी गई।प्रतिनिधियों ने ऊर्जा उत्पादन, पारेषण और वितरण में सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत करने, निजी कंपनियों को अनुचित लाभ देने की नीति समाप्त करने और कोयला, गैस व नवीकरणीय ऊर्जा के संतुलित उपयोग को प्राथमिकता देने की मांग की।सम्मेलन में घोषणा की गई कि देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। यदि मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो चरणबद्ध हड़ताल का आयोजन किया जाएगा और राज्य सरकारों से संवाद कर नीतिगत बदलाव की अपील की जाएगी। इसके अलावा, न्यायिक और कानूनी विकल्पों का भी सहारा लिया जाएगा।राष्ट्रीय समन्वय समिति ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार इन मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों से आंदोलन को और तेज किया जाएगा। सम्मेलन के अंत में बिजली कर्मचारियों, अभियंताओं और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया गया।

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