शहडोल:पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालयशहडोल में "एक्वा एक्सपो" एवं अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस की भव्य शुरुआत

 पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालयशहडोल में "एक्वा एक्सपो" एवं अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस की भव्य शुरुआत

मत्स्य पालन क्षेत्र में नई तकनीकों पर मंथन, 6 मार्च तक चलेगा आयोजन

शहडोल।  पंडित शंभू नाथ शुक्ला विश्वविद्यालय, शहडोल के मत्स्य विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस एवं "एक्वा एक्सपो" का आज भव्य शुभारंभ हुआ। यह आयोजन "एक्वाकल्चर में नवीनतम प्रवृत्तियाँ" विषय पर केंद्रित है और 4 से 6 मार्च 2025 तक चलेगा।इस सम्मेलन में भारत और विदेशों से आए वैज्ञानिक, शोधकर्ता, उद्योग विशेषज्ञ एवं विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं। आयोजन का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर में नई तकनीकों, अनुसंधान और अवसरों पर चर्चा करना है।उद्घाटन समारोह में शामिल हुए गणमान्य अतिथियों में मुख्य रूप से कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ.दिलीप कुमार (पूर्व निदेशक एवं कुलपति, आईसीएआर - केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई) के कर कमलों द्वारा किया गया।

इसके अलावा, मुख्य संरक्षक प्रो. राम शंकर सिंह (कुलगुरु ), डॉ. आशीष तिवारी (कुलसचिव ), प्रो. अमित  निगम (अध्यक्ष, मत्स्य विभाग), डॉ .वंदना राम (कॉन्फ़्रेंस सचिव), एवं डॉ. सत्येन्द्र कुमार (संयुक्त कॉन्फ़्रेंस सचिव) ने भी उद्घाटन समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।इस सम्मेलन  की मुख्य बातें जिन पर मंथन किया जायेगा , मत्स्य पालन और जलीय कृषि की आधुनिक तकनीकों पर विस्तृत चर्चा, छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए कार्यशालाओं और प्रदर्शनियों का आयोजन,मछली उत्पादन, प्रबंधन, विपणन और सतत विकास पर विशेषज्ञों के व्याख्यान, मत्स्य व्यवसाय और उद्योग क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों के लिए नए अवसरों की खोज, सम्मेलन का आयोजन और नेतृत्व आयोजक विभाग: मत्स्य विभाग, पंडित शंभू नाथ शुक्ला विश्वविद्यालय, शहडोल द्वारा किया जारहा है कार्यक्रम के संयोजक प्रो. अमित  निगम (विभागाध्यक्ष- मत्स्य विभाग)ने आयोजन के बारीकियों पर प्रकाश डालते हुए मत्स्य विभाग के आगामी योजनाओ की चर्चा की और सभी उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। डॉ .वंदना राम ने आयोजन की विविधताओं ,विशेषताओं और आयोजन के पीछे कुलगुरु उनके प्राध्यापक और विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ की गई मेहनत को चिन्हित करते हुए आयोजन की सफलता पर व्याखान दिया और मूल मंत्र के रूप मए बताया की कोशिश करने बालो की कभी हार नहीं होती। कार्यक्रम का संचालन डॉ ममता प्रजापति, सहायक प्राध्यापक रसायन शास्त्र ने किया।आयोजन  समिति में  डॉ. उमा सिंह, डॉ. ममता प्रजापति, डॉ. योगिता बसने, डॉ. मौशमी  कर, डॉ. शिवानी शर्मा, डॉ. पूजा गौर, आदि ने विशेष सहयोग दिया । छात्र नेतृत्व टीम: पुष्पा क्वाट, पुष्पराज सिंह मार्को, तंजीन खान, अफसान खान, किरण सिंह, महिमा सिंह कंवर, आदि।

प्रो के कुमार ने पूर्व विभागाध्यक्ष मत्स्य विभाग ने कहा-भारत में मत्स्य पालन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, और सरकार भी इस क्षेत्र को बढ़ावा दे रही है। यह सम्मेलन उन विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और उद्यमियों के लिए एक सुनहरा अवसर होगा जो इस क्षेत्र में नई संभावनाओं को तलाशना चाहते हैं। इस सम्मेलन का विषय "एक्वाकल्चर में नवीनतम प्रवृत्तियाँ" रखा गया है, जिसमें भारत सहित कई देशों के विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, शोधकर्ता एवं विद्यार्थी भाग लेंगे।यह विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है। 

उद्घाटन भाषण में डॉ. दिलीप कुमार ने कहा कि भारत में एक्वाकल्चर और मत्स्य पालन क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से मत्स्य पालन को और अधिक व्यवसायिक एवं सतत विकास उन्मुख बनाया जा सकता है।उन्होंने कहा, "आज भारत विश्व में मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल है। नई तकनीकों, अनुसंधान और सतत विकास को अपनाकर हम वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकते हैं।" अपने संबोधन में उन्होंने जलवायु परिवर्तन से मत्स्य पालन पर पड़ने वाले प्रभाव और इसे कम करने के उपायों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्मार्ट एक्वाकल्चर, जल संसाधनों का कुशल उपयोग और टिकाऊ मत्स्य पालन की दिशा में काम करने की जरूरत है।छात्रों और शोधकर्ताओं को दिए सफलता के मंत्र- शोधकर्ताओं एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में नवाचार एवं उद्यमशीलता को बढ़ावा देना आवश्यक है।

 उन्होंने कहा कि भारत में नीली क्रांति को सफल बनाने में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी और इस क्षेत्र में सरकार द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।

 डॉ. कुमार ने जलीय कृषि की नई तकनीकों, मत्स्य प्रजनन, मत्स्य विपणन एवं निर्यात के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने स्थानीय स्तर पर एक्वाकल्चर के विकास एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने पर बल दिया।

 इस अवसर पर कुलगुरु  प्रो. रामशंकर कहा कि मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि के बढ़ते महत्व और इस क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्थिति पर विचार करें "मत्स्य पालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा"मिलेगा  मत्स्य पालन भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है।उन्होंने बताया कि एक्वाकल्चर न केवल खाद्य सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करता है।भारत को एक्वाकल्चर के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्राप्त करने के लिए नवाचार और अनुसंधान पर अधिक ध्यान देना होगा।शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए विशेष संदेश देते हुए कहा कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और यह क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत अभियान में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे नई तकनीकों, स्मार्ट एक्वाकल्चर, और सतत विकास की रणनीतियों को अपनाकर मत्स्य पालन को और अधिक उन्नत बनाएं।यह सम्मेलन न केवल शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि युवाओं को मत्स्य पालन के क्षेत्र में नई संभावनाओं से अवगत कराने का भी सुनहरा अवसर प्रदान कर रहा है। इस आयोजन में प्रतिभागियों को मत्स्य पालन उद्योग में नवीनतम शोध और तकनीकों को समझने एवं नए विचारों के आदान-प्रदान का अवसर मिलेगा।नेचर ड्रॉप, चैपलिन एक्वा, और स्मार्ट लॉन जैसी कंपनियां इस आयोजन की प्रायोजक हैं, जो मत्स्य पालन और एक्वाकल्चर के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं।उनका योगदान सराहनीय है। प्राध्यापक ,सह-प्राध्यापक ,सहायक प्राध्यापक ,विश्वविद्यालय के कर्मचारी ,हजारो की संख्या में छात्र -छात्राएं ,अभिवावक ,गणमान्य नागरिक ,पत्रकार बधुओं की उपस्थिति थी।

कार्यक्रम का सफल सञ्चालन डॉ ममता प्रजापति ने किया ,अतितिथियो का सम्मान शाल श्रीफल और स्मृति चिन्ह दे कर किया गया.  उद्घाटन समारोह में कुलसचिव डॉ. आशीष तिवारी ने सभी अतिथियों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और छात्रों के प्रति आभार व्यक्त किया।"यह सम्मेलन मत्स्य उद्योग और अनुसंधान को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा" डॉ. आशीष तिवारी ने कहा कि यह सम्मेलन मत्स्य पालन, जलीय कृषि और एक्वाकल्चर उद्योग में तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा।उन्होंने कहा, "हमारा विश्वविद्यालय वैज्ञानिक शोध, नवाचार और शिक्षण के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह आयोजन उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।"उन्होंने छात्रों, शोधकर्ताओं, प्रायोजकों और मीडिया प्रतिनिधियों का भी आभार व्यक्त किया, जिनके सहयोग से यह सम्मेलन सफल हो रहा है।आयोजन समिति के सभी सदस्यों का विशेष रूप से धन्यवाद किया। समारोह के बाद फीता खोल कर कुलगुरु प्रो रामशंकर एवं डॉ.दिलीप कुमार पूर्व निदेशक एवं कुलपति, आईसीएआर - केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई के द्वारा "एक्वा एक्सपो"

की औपचारिक शुरुआत की गई स्थानीय सलाहकार बोर्ड के सम्मानित सदस्य  प्रो. प्रवीण शर्मा,प्रो. प्रमोद पांडेय,प्रो. एम.के. भटनागर,प्रो. गीता सराफ प्रो. सुनीता वाथरे,डॉ.डॉ मनीषा तिवारी ,डॉ नीलिमा खरे ,डॉ एच एल मरावी ,डॉ चेतना सिंह ,डॉ अनिल कुमार गुप्ता ,डॉ गंगाधर डोके आदि थे।कार्यकम में  प्राध्यापक ,सह-प्राध्यापक ,सहायक प्राध्यापक ,विश्वविद्यालय के कर्मचारी ,सैकड़ो  की संख्या में छात्र -छात्राएं ,अभिवावक ,गणमान्य नागरिक , जनपरिषद, नेचर डॉप, चिरायु अस्पताल, चमन लाल सेठिया, श्री लक्ष्मी राइस मिल, स्मार्ट डोर सेंटर के प्रायोजक पत्रकार बधुओं की उपस्थिति थी।

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